Tuesday, 12 July 2011

कर गए ख्वाब हमसे शरारत बड़ी .....

कर गए ख्वाब हमसे शरारत बड़ी .....

एक  पर्दानशीं ,सामने  थीं  खड़ी
रुख से पर्दा हटाने लगीं जिस घडी 
क्या थी जल्दी न ठहरे घड़ीभर वहाँ
कर गए ख्वाब हमसे  शरारत बड़ी 

घनश्याम वशिष्ठ 

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