Saturday 1 December 2012

हिचकियां  लगी तो  लगा 
 दे गया कोई उन्हें  दगा 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 30 November 2012

दिल की न कहते, तो अच्छा था 
मुगालते में रहते ,तो अच्छा था 

घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday 15 November 2012

त्योंहारों के दिन ,
वक़्त का पाँव एक्सीलेटर से नहीं हिला ,
कमबख्त को कहीं जाम ही नहीं मिला .

घनश्याम वशिष्ठ 

Monday 12 November 2012


अभावों की आहट मन में न आए , 
बस राजी ख़ुशी दिवाली  मन जाए 

घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday 10 November 2012

कलैंडर टांग कर, दीवारों के पैचज़ भर लें 
लिपाई पुताई नहीं ,चलो लीपापोती ही कर लें .

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 9 November 2012

कहाँ पहुँच गया है राजनेताओं की ख्याति का स्तर ,
सहज ही विश्वसनीय  लगती है भ्रष्टाचार की खबर 

घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday 6 November 2012

श्रीमान गडकरी, 
करवा दी ना  पार्टी की किरकिरी ,
क्यूँ तौलने लगे लोगों का आईक्यू .
आखिर ऐसी बात भेजे में आई क्यूँ 
.
घनश्याम वशिष्ठ 


Monday 5 November 2012

घर बसाने  के लिए ,एक अदद घर ज़रूरी है ,
तुम्हे प्रपोज़ करने की इच्छा आज भी अधूरी है 

घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday 3 November 2012

हया ओ अदा से जब ,झुकीं थी तुम्हारी पलकें 
दिल में आज तक होते है ,स्पंदन उस पल के 

घनश्याम वशिष्ठ 
बेचारी जनता ......
न जानें किस मत के भरोसे है ,
सच तो ये है किस्मत के भरोसे है .

घनश्याम वशिष्ठ

Tuesday 30 October 2012

राजनीति से हो गया ,नैतिकता का लोप ,
मंत्री  वह भी हो  गए,जिन पर थे आरोप 

घनश्याम वशिष्ठ 

Monday 29 October 2012


जहां  ताला पड़ा रहता है  दिन भर,
कभी कभी सराय सा लगता है घर

घनश्याम वशिष्ठ

Saturday 27 October 2012

ऐसे लोगों पर कभी, मत करना विश्वास , 
मुँह में मिश्री हृदय में, जिनके हो विष वास 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 26 October 2012

कद्र करें सब भरे की ,दुनिया की है रीत , 
प्याला औंधे मुँह पडा ,गया अभागा रीत 

घनश्याम वशिष्ठ 


Thursday 25 October 2012

ज़ेहन में क्या था तेरे न जाना ,
गया फंस वहम में यूँ ही दिवाना 

घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday 24 October 2012

हमारे बीच जो टूटा हुआ रिश्ता है , 
घाव गहरा है, रह रह कर रिसता है 

घनश्याम वशिष्ठ 


Tuesday 23 October 2012

हमनें तुम्हारे जो संग दिल लगाया ,
तुमने वो रिश्ता न संगदिल निभाया 

घनश्याम वशिष्ठ 

Monday 22 October 2012

मर मर कर भरता हूँ, महीने भर का बिल 
कैसे कहूँ  खुद को ,पढ़ा लिखा ....काबिल 

घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday 20 October 2012

कभी तरसते थे ,
सुनने को सदा (आवाज़ )तुम्हारी 
अब मजबूर हैं, 
सुनने को सदा (हमेंशा )तुम्हारी 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 19 October 2012

 राजनैतिक गलियारों में ...

खूब सूरत देखीं 
खूबसूरत न दिखी 

घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday 18 October 2012

क्या कहें अलफ़ाज़ ही खफा हो गए 
ज़ेहन में नहीं आते बेवफा हो गए 

घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday 17 October 2012

डूबें जो कुछ लाख पर होने को बदनाम 
माननीय होते नहीं इतने भी नादान 
इतने भी नादान न झूठी बातें जोड़ो 
तब होता विश्वास जो होते कई करोड़ों 
कहें वेनी प्रसाद देख राजा, कलमाड़ी 
इतनी ओछी नहीं रही ,कुल कीर्ति हमारी 

घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday 16 October 2012

इश्क के दरिया को कोई तैराक नहीं मिला 
कमबख्त सभी डूब गए 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 18 May 2012

कहीं यह तुम्हारा ख़त तो नहीं 
उम्र भर यही हसरत रही 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 11 May 2012

 हम करें कैसे बयाँ , कितना तुम्हें हैं  चाहते 
खुद ही कर देंगी बयाँ , जो हैं हमारी चाहतें 

घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday 10 May 2012

क्या हुआ जो आज तुम सजनें सँवरने आई ना 
राह तकता ही रहा बेचैन होकर आईना 
घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday 29 March 2012

गर अन्दर से रीते हो 
तो क्या खाक पीते हो 


घनश्याम वशिष्ठ

Wednesday 14 March 2012

खोटे को कर दो खरा, देकर अपना वोट 
राजनीति की ओट में ,छुप जाएगा खोट

घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday 15 February 2012

सोच चले जा मिथ्या की जय 
बोल सत्य का मुंह  काला 
आचरणों में ढोंग ओढ़कर 
बन कोमल साकी बाला 
नेह दिखाकर जैसे भी हो 
भर ले प्याला जनमत का 
बन जा कुटिल कुशल न तुझको 
दूर लगेगी मधुशाला 


घनश्याम वशिष्ठ

Monday 6 February 2012

प्याले भर की लिए पिपासा 
चले नेक पीने वाला 
नेकी  के पथ पर चल कैसे 
पहुंचेगा भोला भाला 
अरे झूठ की राह पकड़ ले 
आँख मूंदकर चलता जा 
प्याले भर की बात कहाँ फिर 
पा जाएगा मधुशाला 

घनश्याम वशिष्ठ

Saturday 7 January 2012

ख्वाब टूटा होश में आया तुम्हें देखा तभी 
क्या जलाल ए हुस्न था के होश मेरे उड़ गए 
घनश्याम वशिष्ठ

Friday 6 January 2012

चिलमन से बाहर आओ 
हम भी बहार देखें 


घनश्याम वशिष्ठ

Thursday 5 January 2012

तेरी आँखों में घडी भर क्या देखा 
शराब धेले भर की रह गयी 
घनश्याम वशिष्ठ

Wednesday 4 January 2012

मेरी समझ के कान ही बहरे थे 
वरना, तुम्हारी तो आँखें बोलती  हैं 


घनश्याम वशिष्ठ