kavighanshyam
Friday 20 September 2013
उनकी नज़रों में इश्क कोई ज़ुल्म नहीं था ,
पंचायती क़ानून उन्हें मालूम नहीं था .
घनश्याम वशिष्ठ
Thursday 19 September 2013
हवाओं से लड़ता, आखिर कब तक ,
टूट कर झुक ही गया, बूढा बरगद .
घनश्याम वशिष्ठ
Wednesday 18 September 2013
रिश्तों की दरारें भर तो ली हैं मगर ,
कब तड़क जायेंगी क्या खबर .
घनश्याम वशिष्ठ
Saturday 14 September 2013
कैसे ढहा दूं उसका घर … ,
हमारे तो घर की दीवारें भी ,
खड़ी हैं एक दुसरे के सहारे ही
घनश्याम वशिष्ठ
भला तब हो ,जब अंजाम का डर ,
दिखाए कुछ सकारात्मक असर .
घनश्याम वशिष्ठ
Saturday 7 September 2013
पथ भटके जिनका रहा ,राह दिखाना काम।
ऐसे में राही रखें ,
किससे आशा … राम।
घनश्याम वशिष्ठ
Monday 2 September 2013
भय है, पका विश्वास खुरचवा न दे ,शंका कहीं ,
देखने को - नंगे चेहरे पर कालिख तो नहीं
घनश्याम वशिष्ठ
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