Friday 18 May 2012

कहीं यह तुम्हारा ख़त तो नहीं 
उम्र भर यही हसरत रही 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 11 May 2012

 हम करें कैसे बयाँ , कितना तुम्हें हैं  चाहते 
खुद ही कर देंगी बयाँ , जो हैं हमारी चाहतें 

घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday 10 May 2012

क्या हुआ जो आज तुम सजनें सँवरने आई ना 
राह तकता ही रहा बेचैन होकर आईना 
घनश्याम वशिष्ठ