दस
होता उल्ल्लासित उर हो जब
कर में सत्ता का प्याला
उठे गर्व से भाल कीर्ति -
गान करें साकी बाला
नहीं सुनाई देते तब स्वर
बेबस आँखों वालों के
तभी गर्व की मादकता से
गहरा जाती मधुशाला
घनश्याम वशिष्ठ
होता उल्ल्लासित उर हो जब
कर में सत्ता का प्याला
उठे गर्व से भाल कीर्ति -
गान करें साकी बाला
नहीं सुनाई देते तब स्वर
बेबस आँखों वालों के
तभी गर्व की मादकता से
गहरा जाती मधुशाला
घनश्याम वशिष्ठ