कुदरती जंगल ,कंक्रीट का जंगल हुआ जा रहा है , जंगल में मंगल ,या फिर अमंगल हुआ जा रहा है . घनश्याम वशिष्ठ
Thursday 27 June 2013
बहुत मजबूत है हमारी आस्था की रीढ़ . साक्षी है ,अमरनाथ यात्रियों की भीड़ . घनश्याम वशिष्ठ
Wednesday 19 June 2013
कहाँ ढूंढे तुम्हें, पता नहीं मिलता है . सबसे जबाब हमें ,पता नहीं ..मिलता है घनश्याम वशिष्ठ
Monday 17 June 2013
संग ईंट- रोड़े का छूटा , भानुमती का कुनबा टूटा . घनश्याम वशिष्ठ
Sunday 16 June 2013
डांटा कभी , कभी पुचकारा पापा अदभुत प्यार तुम्हारा . पूज्य पिता को पितृ दिवस पर सादर श्रद्धांजली घनश्याम वशिष्ठ ,
Wednesday 12 June 2013
कल तलक वो हमारी छांव में पले . आज हम खुद हैं ,उनकी छाँव तले . घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday 11 June 2013
सहारा लिया था अंगुली थमाकर , वो ही गए फिर अंगूठा दिखाकर . घनश्याम वशिष्ठ
Monday 10 June 2013
किनारे कर दिया आहिस्ते -आहिस्ते , ऐसे ही तो होते हैं .. स्वार्थ के रिश्ते . घनश्याम वशिष्ठ
Thursday 6 June 2013
मित्रों ,सर्वभाषा सांस्कृतिक समन्वय समिति के सदस्यों के साथ बदरीनाथ धाम जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ ,पर्वत राज हिमालय का विराट रूप देख कवि मन कह उठा ..... भाल चूमने को उत्सुक नभ , चरण पखारे जल की धारा , आज हिमालय परिचय पाया , वैभव ,विपुल , विराट तुम्हारा . घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday 4 June 2013
जुबां का झूठ ,आँखों में झलक रहा है , ये प्यार नहीं , तो क्या छलक रहा है . घनश्याम वशिष्ठ