राजनीति से हो गया ,नैतिकता का लोप , मंत्री वह भी हो गए,जिन पर थे आरोप घनश्याम वशिष्ठ
Monday 29 October 2012
जहां ताला पड़ा रहता है दिन भर,
कभी कभी सराय सा लगता है घर
घनश्याम वशिष्ठ
Saturday 27 October 2012
ऐसे लोगों पर कभी, मत करना विश्वास , मुँह में मिश्री हृदय में, जिनके हो विष वास घनश्याम वशिष्ठ
Friday 26 October 2012
कद्र करें सब भरे की ,दुनिया की है रीत , प्याला औंधे मुँह पडा ,गया अभागा रीत घनश्याम वशिष्ठ
Thursday 25 October 2012
ज़ेहन में क्या था तेरे न जाना , गया फंस वहम में यूँ ही दिवाना घनश्याम वशिष्ठ
Wednesday 24 October 2012
हमारे बीच जो टूटा हुआ रिश्ता है , घाव गहरा है, रह रह कर रिसता है घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday 23 October 2012
हमनें तुम्हारे जो संग दिल लगाया , तुमने वो रिश्ता न संगदिल निभाया घनश्याम वशिष्ठ
Monday 22 October 2012
मर मर कर भरता हूँ, महीने भर का बिल कैसे कहूँ खुद को ,पढ़ा लिखा ....काबिल घनश्याम वशिष्ठ
Saturday 20 October 2012
कभी तरसते थे , सुनने को सदा (आवाज़ )तुम्हारी अब मजबूर हैं, सुनने को सदा (हमेंशा )तुम्हारी घनश्याम वशिष्ठ
Friday 19 October 2012
राजनैतिक गलियारों में ... खूब सूरत देखीं खूबसूरत न दिखी घनश्याम वशिष्ठ
Thursday 18 October 2012
क्या कहें अलफ़ाज़ ही खफा हो गए ज़ेहन में नहीं आते बेवफा हो गए घनश्याम वशिष्ठ
Wednesday 17 October 2012
डूबें जो कुछ लाख पर होने को बदनाम माननीय होते नहीं इतने भी नादान इतने भी नादान न झूठी बातें जोड़ो तब होता विश्वास जो होते कई करोड़ों कहें वेनी प्रसाद देख राजा, कलमाड़ी इतनी ओछी नहीं रही ,कुल कीर्ति हमारी घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday 16 October 2012
इश्क के दरिया को कोई तैराक नहीं मिला कमबख्त सभी डूब गए घनश्याम वशिष्ठ