Thursday 30 June 2011

किताब सा ............

 किताब सा ...........

फडफडा के खुल गया, पन्ना किताब का
साँसें अभी भी ले रहा है,गुल गुलाब का
होतीं है क्या यादें भला,ज़िंदा कहीं दफ़न
तेरा है दिल गुलाब सा, मेरा किताब सा

घनश्याम वशिष्ठ



Wednesday 29 June 2011

क्रांति लाए है .......

 क्रांति  लाए है .......


अंधेरों से वही जीत पायें हैं 
जिन्होंने दीपक जलाए  है 
मंजिलें उन्हीं को मिली है
जिन्होंने कदम उठाए है 
जिनमें ज़ज्बात ज़िंदा हैं 
वही लोग  क्रांति  लाए है 

घनश्याम वशिष्ठ

Tuesday 28 June 2011

एक सन्देश .......एक विज्ञापन ........

एक सन्देश .......
अंधों की आँख बनें

एक विज्ञापन ........
दिल्ली पुलिस की आँख बनें

घनश्याम वशिष्ठ

Monday 27 June 2011

जाने किधर गई..........

जाने किधर  गई..........

अनजान सी अबोध सी, आँखें नईं -  नईं  
फिर रहीं थी खोज में, प्रिय की कहीं कहीं 
हर ओर घूम रुक गई, हम पर जो देर तक 
वो प्रीत के नस्तर चुभो जानें किधर गईं 

घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday 25 June 2011

ज़ुबान सिल गई ..........

ज़ुबान सिल गई ..........

मुड़कर जो देखा आपने, बांछें सी खिल गई 
मन को लगा कि मन की अब, मुराद मिल गई 
अफ़सोस रहा यही, नहीं इज़हार कर सके 
लब फडफडाये थे, मगर जुबां सिल गई 


घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 24 June 2011

मेरे पर कतर गई..........

मेरे पर कतर गई..........
भटकाव में शब् आई, जानें कब सहर गई 
देखी जो एक शमा जली, नियति  ठहर गई 
आवारा पंछियों सा कैसे उड़ सकूंगा मैं 
वो खंजरे उल्फत से मेरे पर कतर गई
घनश्याम वशिष्ठ  

Tuesday 21 June 2011

जैसे आप आ गए .........

जैसे आप आ गए .........

थे लम्हे  इंतज़ार  के, सदियाँ दिखा गए
धक्- धक् हृदय की धडकनें, ज़ालिम बढ़ा गए
पत्ता कहीं खडका, हुआ मन को यही गुमान
चुपचाप दबे पांव जैसे आप आ गए

घनश्याम वशिष्ठ

Monday 20 June 2011

कहाँ दरकार रह गई ..........

कहाँ दरकार रह गई ..........

दीपक जलाओ, आपनें मुझसे ये क्या कही 
खुद का वजूद आप तो, खुद ही भुला रहीं 
जब चाँद उतर कर मेरी चौखट पे आ गया 
दीया जलाने की कहाँ दरकार रह गई 

घनश्याम वशिष्ठ 

Sunday 19 June 2011

happy father's day


happy father's day 

लोग लड़ सकतें है वह 
हालात से होकर निडर 
 माँ- बाप के आशीष का  
हो  हाथ जिनके शीश पर 

घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday 18 June 2011

रूप की रंगत बढ़ा गई.................

रूप की रंगत बढ़ा गई.................

नज़रें तनिक मिला सकी  न , वो लजा गई  
घूंघट की ओट में, हसीं चेहरा छुपा गई 
आँचल का आवरण  सुहागा, स्वर्ण पे हुआ
छन -छन के छवि रूप की रंगत बढ़ा गई

घनश्याम वशिष्ठ

प्रतिबिम्ब देखा आपका ..........

प्रतिबिम्ब  देखा आपका ..........

प्रतिबिम्ब देखा आपका साँसें उखड गयीं
श्रंगार करते हुस्न से नज़रें  जो लड़ गयीं
खुद का ही रूप देखकर जो मुस्कुराए तुम
बेजान आईने में कैसी जान पद गयी

घनश्याम वशिष्ठ  

दिमाग चल गया है ........

जब  दिमाग  नहीं  चलाता  था तो  कहते थे-  दिमाग  नहीं चलता. .
अब दिमाग चलाता हूँ तो  कहतें है-  दिमाग चल गया है .

घनश्याम वशिष्ठ

Friday 17 June 2011

मधुशाला की मधुशाला

मधुशाला की मधुशाला 

अभी अभी सूरज निकला है 
नाच रहा पीनें वाला
आभा को मुट्ठी में भरकर 
लगा खोजनें मधुशाला 
मतवालों की भीड़ खोजती -
फिरती खुद खो जाती है 
पद विक्षिप्त प्रश्न करतें है 
कहाँ मिलेगी मधुशाला 

घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday 9 June 2011

उमा भारती बी जे पी में लौटीं ....... ....

उमा भारती बी जे पी में लौटीं ....... ....

कोई अनशन करे कहीं . दिल्ली या  हरिद्वार 
अवसर वादी हाथ सेकनें, को बैठे तैयार
को बैठे तैयार ,  लोग यह बहुत सयानें 
लगे हुए  हैं  निज हित की हुंडी भुनवाने 
मिला सियासतदारों को किस्मत से मौक़ा 
उमा भारती नें मौके पर मारा चौका 

घनश्याम  वशिष्ठ
 

Monday 6 June 2011

सरकार के तानाशाह रवैये पर.............

सरकार के तानाशाह रवैये  पर.............

अपनाया सरकार ने तानाशाह अंदाज़ 
अब जनता के हाथ है लोकतंत्र की लाज 
लोकतंत्र की लाज हिला दो तख़्त अहम् के 
होते  बर्बर शासक काबिल नहीं रहम के 
खोल सफ़े इनको इनका इतिहास बताओ 
उठो एकजुट होकर फिर जन  जागृति लाओ 

घनश्याम वशिष्ठ 

Sunday 5 June 2011

मधुशाला की मधुशाला

मधुशाला  की  मधुशाला  

जब तक बूँद मात्र भी मेरे 
नहीं हृदय में थी हाला 
शब्दों का गढ़ता रहता था 
प्याला -मैं साकी बाला 
एक बूँद से हिय के अन्दर 
अनुभूति अंकुर फूटा 
शब्द खो गए, छंद सो गए 
जाग उठी बस मधुशाला 

घनश्याम वशिष्ठ  

Saturday 4 June 2011

मधुशाला की मधुशाला

मधुशाला की मधुशाला 

प्रेरित होकर मधुशाला से 
उठा कल्पना का प्याला 
हिय के भाव कलम पर रख कर 
बैठा लिखनें मधुशाला 
प्रथम समर्पित छंद शब्द सब 
तेरी (बच्चन जी ) ही मधुशाला को 
मादकता फिर बिखराएगी
मधुशाला की मधुशाला 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 3 June 2011

योगगुरु बाबा रामदेव अनशन करेंगे ................

 योगगुरु बाबा रामदेव  अनशन  करेंगे ......


वायरस भ्रष्टाचार का देख रहा हर ओर
छिप जाए जाकर जहाँ बची न कोई ठोर
बची न कोई ठोर योग के गुरु ने मारक 
ढूंढ लिया है टीका भ्रष्टाचार निवारक 
करने देश निरोग बनाने स्वच्छ प्रशासन 
निकले बाबा लेकर अब अनशन का आसन 

घनश्याम वशिष्ठ