kavighanshyam
Monday 20 June 2011
कहाँ दरकार रह गई ..........
कहाँ दरकार रह गई .........
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दीपक जलाओ, आपनें मुझसे ये क्या कही
खुद का वजूद आप तो, खुद ही भुला रहीं
जब चाँद उतर कर मेरी चौखट पे आ गया
दीया जलाने की कहाँ दरकार रह गई
घनश्याम वशिष्ठ
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