kavighanshyam
Tuesday 21 June 2011
जैसे आप आ गए .........
जैसे आप आ गए .........
थे लम्हे इंतज़ार के, सदियाँ दिखा गए
धक्- धक् हृदय की धडकनें, ज़ालिम बढ़ा गए
पत्ता कहीं खडका, हुआ मन को यही गुमान
चुपचाप दबे पांव जैसे आप आ गए
घनश्याम वशिष्ठ
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