मैं मुसाफिर हूँ .. यह सच है , फिर भी आशियाने का लालच है . घनश्याम वशिष्ठ
Thursday 28 March 2013
मांग रहीं हैं सुरक्षा की छईया , मेरे आँगन की गौरियां . घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday 26 March 2013
जीवन के रंगों पर ,यूँ पानी न उडेलें . पानी बचाएं ,आओ सूखी होली खेलें घनश्याम वशिष्ठ
Saturday 23 March 2013
अब तो काग भी नहीं आते मुंडेर पर . उजड गया मेरे इंतज़ार का शहर . घनश्याम वशिष्ठ
Friday 22 March 2013
बीस बरस बाद जब ..... पीढितों के घाव भर गए , बुढियाते अपराधी सुधर गए . न्याय व्यवस्था तब ..... मरहम लगा रही है , कारागृहों में धकिया रही है . घनश्याम वशिष्ठ
Thursday 21 March 2013
वेनी की बातों पर यूँ ना अडो .. मुलायम , बच जाए सरकार , जरा सा पड़ो मुलायम . घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday 12 March 2013
क्या कहा उन्होंने , हमसे रूठे हैं , अरे ,वो बहुत झूठे हैं . घनश्याम वशिष्ठ
Thursday 7 March 2013
कभी माँ ,कभी बहन ,कभी पत्नी ,कभी बेटी -बहु . जिस रूप में भी रही , पालनहार रही तू . घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday 5 March 2013
कुम्भ के लापता शिविरों में , प्रतीक्षारत हताश आँखें , करतीं हैं सवाल ... क्या शाप थे हम . वो मुक्त हो गए .. क्या पाप थे हम . घनश्याम वशिष्ठ
Monday 4 March 2013
बजट पर आपकी राय ... गरीब आदमी की ओर पत्रकार नें प्रश्न उछाला . उत्तर आया .... भूखे भजन न होहिं गोपाला . घनश्याम वशिष्ठ
Sunday 3 March 2013
ऐसी हो गई है पुलिस की छवि , आम आदमीं डरता है, अपराधी नहीं . घनश्याम वशिष्ठ
Friday 1 March 2013
जहां हवाओं में भी आतंक का डर है क्या यह सांस लेने लायक शहर है घनश्याम वशिष्ठ