Sunday 31 March 2013

मैं मुसाफिर हूँ .. यह सच है ,
फिर भी आशियाने का लालच है  .

घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday 28 March 2013

मांग रहीं हैं सुरक्षा की छईया ,
मेरे आँगन की गौरियां  .
घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday 26 March 2013

जीवन के रंगों पर ,यूँ पानी न उडेलें .
पानी बचाएं ,आओ सूखी होली खेलें 

घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday 23 March 2013

अब तो काग भी नहीं आते मुंडेर पर .
उजड गया मेरे इंतज़ार का शहर  .

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 22 March 2013

बीस बरस बाद जब .....
पीढितों के घाव भर गए ,
बुढियाते अपराधी सुधर गए  .
न्याय व्यवस्था तब .....
मरहम लगा रही है ,
कारागृहों में धकिया रही है .

घनश्याम वशिष्ठ

Thursday 21 March 2013

वेनी की बातों पर यूँ ना अडो .. मुलायम ,
बच जाए सरकार , जरा सा पड़ो मुलायम  .

घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday 12 March 2013

क्या कहा उन्होंने , हमसे रूठे हैं ,
अरे ,वो बहुत झूठे हैं .
घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday 7 March 2013

कभी माँ ,कभी बहन ,कभी पत्नी ,कभी बेटी -बहु  .
जिस रूप में भी रही , पालनहार रही तू  .

घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday 5 March 2013

कुम्भ के लापता शिविरों में ,
प्रतीक्षारत हताश  आँखें ,
करतीं हैं सवाल  ...
क्या शाप थे हम .
वो मुक्त हो गए  ..
क्या पाप थे हम  .

घनश्याम वशिष्ठ 

Monday 4 March 2013

बजट पर आपकी राय  ...
गरीब आदमी की ओर पत्रकार नें प्रश्न उछाला  .
उत्तर आया  ....
भूखे भजन न होहिं गोपाला .

घनश्याम वशिष्ठ 

Sunday 3 March 2013

ऐसी हो गई है पुलिस की छवि ,
आम आदमीं डरता है, अपराधी नहीं .

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday 1 March 2013

जहां  हवाओं में भी आतंक का डर है 
क्या  यह  सांस लेने लायक शहर है 

घनश्याम वशिष्ठ