Wednesday 15 February 2012

सोच चले जा मिथ्या की जय 
बोल सत्य का मुंह  काला 
आचरणों में ढोंग ओढ़कर 
बन कोमल साकी बाला 
नेह दिखाकर जैसे भी हो 
भर ले प्याला जनमत का 
बन जा कुटिल कुशल न तुझको 
दूर लगेगी मधुशाला 


घनश्याम वशिष्ठ

Monday 6 February 2012

प्याले भर की लिए पिपासा 
चले नेक पीने वाला 
नेकी  के पथ पर चल कैसे 
पहुंचेगा भोला भाला 
अरे झूठ की राह पकड़ ले 
आँख मूंदकर चलता जा 
प्याले भर की बात कहाँ फिर 
पा जाएगा मधुशाला 

घनश्याम वशिष्ठ