Saturday 18 June 2011

रूप की रंगत बढ़ा गई.................

रूप की रंगत बढ़ा गई.................

नज़रें तनिक मिला सकी  न , वो लजा गई  
घूंघट की ओट में, हसीं चेहरा छुपा गई 
आँचल का आवरण  सुहागा, स्वर्ण पे हुआ
छन -छन के छवि रूप की रंगत बढ़ा गई

घनश्याम वशिष्ठ

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