Saturday 4 June 2011

मधुशाला की मधुशाला

मधुशाला की मधुशाला 

प्रेरित होकर मधुशाला से 
उठा कल्पना का प्याला 
हिय के भाव कलम पर रख कर 
बैठा लिखनें मधुशाला 
प्रथम समर्पित छंद शब्द सब 
तेरी (बच्चन जी ) ही मधुशाला को 
मादकता फिर बिखराएगी
मधुशाला की मधुशाला 

घनश्याम वशिष्ठ 

No comments:

Post a Comment