डूबें जो कुछ लाख पर होने को बदनाम
माननीय होते नहीं इतने भी नादान
इतने भी नादान न झूठी बातें जोड़ो
तब होता विश्वास जो होते कई करोड़ों
कहें वेनी प्रसाद देख राजा, कलमाड़ी
इतनी ओछी नहीं रही ,कुल कीर्ति हमारी
घनश्याम वशिष्ठ
माननीय होते नहीं इतने भी नादान
इतने भी नादान न झूठी बातें जोड़ो
तब होता विश्वास जो होते कई करोड़ों
कहें वेनी प्रसाद देख राजा, कलमाड़ी
इतनी ओछी नहीं रही ,कुल कीर्ति हमारी
घनश्याम वशिष्ठ
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