Friday 7 August 2015

                     दस
होता उल्ल्लासित उर  हो  जब
कर में सत्ता का प्याला
उठे गर्व से भाल  कीर्ति -
गान करें साकी बाला
नहीं सुनाई देते तब स्वर
बेबस आँखों वालों के
तभी गर्व की मादकता से
गहरा जाती मधुशाला
घनश्याम वशिष्ठ

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