Saturday 1 August 2015

                     आठ
सत्ता पाने की अभिलाषा
हो उत्कट बनकर हाला
सिंहासन सुस्पर्श आभासित
हो ज्यों मदिरा का प्याला
बने ध्यान ही करते करते
जुगत सफल सत्ता सुख की
यही सफलता अधिकारों की
दिलवा देगी मधुशाला
घनश्याम वशिष्ठ


No comments:

Post a Comment