Monday 3 August 2015

                    नौ
सुन नारों के स्वर मधु घट से
गिरती प्यालों में हाला
जय जय जय का बिगुल बजाती
घूम रहीं साकी बाला
बस अब पलभर की देरी है
कुछ शतरंजी कदम बढ़ा
विजयश्री तोरण पर,आतुर-
तिलक लगाने मधुशाला
घनश्याम वशिष्ठ 

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