नौ
सुन नारों के स्वर मधु घट से
गिरती प्यालों में हाला
जय जय जय का बिगुल बजाती
घूम रहीं साकी बाला
बस अब पलभर की देरी है
कुछ शतरंजी कदम बढ़ा
विजयश्री तोरण पर,आतुर-
तिलक लगाने मधुशाला
घनश्याम वशिष्ठ
सुन नारों के स्वर मधु घट से
गिरती प्यालों में हाला
जय जय जय का बिगुल बजाती
घूम रहीं साकी बाला
बस अब पलभर की देरी है
कुछ शतरंजी कदम बढ़ा
विजयश्री तोरण पर,आतुर-
तिलक लगाने मधुशाला
घनश्याम वशिष्ठ
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