चलो रे चलो रे चलो
चलो रे, चलो रे, चलो- चलो रे मात के द्वारे
शेरोंवाली माता सबके बिगड़े काज सँवारे
कष्ट ज़रा सा सह ले, आगे कष्ट नहीं फिर होगा
वो उतना सुख पायेगा दुःख, जिसनें जितना भोगा
माँ की आँखें ऐसे- जैसे ममता के जलधारे
थककर बैठा है क्यूँ पगले, क्यूँ तू हिम्मत हारा
वो साहस देगी, तू साँसों में भर ले जयकारा
दिशा- दिशा गुंजायमान हों, बोले जा जयकारे
पापी मन मानुष माँ की ममता को जान गया है
शरण दायिनी कोमल मन माता को मान गया है
फैला है ममता का आँचल छांवों में आ जा रे
जो भी माँ के दर पर आया, उसको माँ ने तारा
सच्चे मन से ध्यान लगा ले, हों जा माँ का प्यारा
करुणा सागर माता के कर जीवन की पतवारें
जय माता दी
घनश्याम वशिष्ठ
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