Sunday 3 July 2011

मधुशाला की मधुशाला

मधुशाला की मधुशाला 

उठकर बैठ नींद में तूनें 
कितना समय बिता डाला 
आसमान से सपनों सी नहीं 
बरसेगी रिमझिम हाला 
पानी पीने की खातिर भी 
कूप खोदना पड़ता है 
हाला की चाहत है तो फिर 
खोजो श्रम की मधुशाला 

घनश्याम वशिष्ठ 

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