श्री राजीव गाँधी की स्मृति में ...........
दूर तलक भू पर अंधियारा
टूट गिरा जो आशा तारा
शून्य विपिन में कहाँ खो गया
सूरज लम्बी तान सो गया
काल चक्र का झंझावत था
वह कैसा निर्मम स्वागत था
दिव्यदीप अवसान हो गया
सूरज लम्बी तान सो गया
स्वपन समृधि टूटे माणिक
गहन उदासी नभ आच्छादित
युग प्रवर्तक दूर जो गया
सूरज लम्बी तान सो गया
-घनश्याम वशिष्ठ
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