kavighanshyam
Saturday 14 May 2011
मयकदा हो गयी .........
मयकदा हो गयी .........
मयकदा हो गयी, सांझ की नम हवा
बेख्याली में तन को, तुम्हारे छुवा
सांस लेते ही गर हम बहकनें लगे
क्यूँ जमाने ने हमको शराबी कहा
-घनश्याम वशिष्ठ
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