Monday 9 May 2011

इधर देखूं ..उधर देखूं ......

इधर देखूं ..उधर देखूं ......

तुम्हें देखूं मैं रह-रह
चोर नज़रों से मगर देखूं
कहीं ना भांप ले नज़रें
ज़माने की नज़र देखूं
मेरी इस कशमकश में हो गयी
नज़रों से तुम ओझल
बड़ी बेचैन नज़रों से
इधर देखूं उधर देखूं 

घनश्याम वशिष्ठ

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