चोर -चोर मौसेरे भाई .......
डौल रही मझधार में, लोकतंत्र की नाव
जनता खेवनहार का, कैसे करे चुनाव
कैसे करे चुनाव, खड़े जो चप्पू थामें
उनके चरित्र, पवित्र हैं कितने, दुनियां जाने
हाथ नहीं हालात, सोच बुद्धि चकराई
सब के सब हैं, चोर -चोर मौसेरे भाई
-घनश्याम वशिष्ठ
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