आये चुनाव .......आये नेता .......
हैं हकीकत में या दिखे ख्यालों में
आये हुज़ूर पांच सालों में .
आये जनता के द्वार आये हैं
शर्म सर से उतार आये हैं
करने झूठा प्रचार आये हैं
देखो, रंगे सियार आये हैं
निकलो घर से, बुहारो रास्तों को
लाओ स्वागत के हार, थालों में
यूँ ना तानों के बाण बरसाओ
ना शिकायत करो, ना गरियाओ
खाओ इन पर तनिक तरस खाओ
खींच कर कटघरे में मत लाओ
घिरे रहे हैं जो पहले से ही आरोपों में
उनको घेरो न तुम सवालों में
हुआ क्यूँ ना विकास, मत पूछो
उठी वादों की लाश, मत पूछो
आये क्यूँ ना ये पास, मत पूछो
क्या रहे काम ख़ास, मत पूछो
सांस लेने की भी ना फुर्सत थी
व्यस्त थे, घपलों में, घोटालों में.
-घनश्याम वशिष्ठ
घिरे रहे हैं जो पहले से ही आरोपों में
उनको घेरो न तुम सवालों में
हुआ क्यूँ ना विकास, मत पूछो
उठी वादों की लाश, मत पूछो
आये क्यूँ ना ये पास, मत पूछो
क्या रहे काम ख़ास, मत पूछो
सांस लेने की भी ना फुर्सत थी
व्यस्त थे, घपलों में, घोटालों में.
हैं हकीकत में या दिखे ख्यालों में
आये हुज़ूर पांच सालों में
.
-घनश्याम वशिष्ठ
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