Friday 26 August 2011

 लोग आशा कर रहे थे कि आज तो संसद कोई सकारात्मक निर्णय लेकर ही उठेगी ,
 चाहे कितना भी समय क्यों न लगे क्योंकि एक एक मिनट अन्ना जी के जीवन को
 खतरे की ओर ले जा रहा है लेकिन हद है संवेदनहीनता की संसद बिना अन्ना जी
 के जीवन की चिंता किये उठ गयी .
क्या कोई अपनों के  साथ ऐसा कर सकता है ?
कैसे कहें हमारे सांसद हमारे अपने है ?
लोग  पराये  राज करें , यह  हमको  मंजूर  नहीं
चुप रहकर अन्याय सहें, इतने भी मजबूर नहीं

घनश्याम वशिष्ठ

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