आदरणीय बच्चन जी को सादर समर्पित
एक
प्रेरित होकर मधुशाला से
उठा कल्पना का प्याला
भाव तूलिका की नोकों पे
बैठा लिखने मधुशाला
प्रथम समर्पित छंद शब्द सब
तेरी ही मधुशाला को
मादकता फिर बिखराऐगी
मधुशाला की मधुशाला
घनश्याम वशिष्ठ ".
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