kavighanshyam
Monday 19 September 2011
ज़रा तुम दिख पड़ो दिल में अजब सागर उफनता है
न दिखती हो बड़ा मायूस होकर दिल सहमता है
इशारा दे रहे ज़ज्बात यूँ तो प्यार का लेकिन
न तो इनकार न इकरार कुछ करते ही बनता है
घनश्याम वशिष्ठ
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