नूतन हाला की तृष्णा में तोड विगत कर का प्याला
साकी के नयनो से मादक स्वप्न देखता मतवाला
दीख रही है नई नवेली नित नूतन श्रृंगार किए
अभी लगे है कंचन काया काढ़े घूँघट मधुशाला
घनश्याम वशिष्ठ
साकी के नयनो से मादक स्वप्न देखता मतवाला
दीख रही है नई नवेली नित नूतन श्रृंगार किए
अभी लगे है कंचन काया काढ़े घूँघट मधुशाला
घनश्याम वशिष्ठ
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