Friday, 26 April 2013

अजीब लोग हैं , परेशान हैं बेगम से .
गम से तो ठीक ,पर  ..बे- गम से ......

घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 25 April 2013

तुमनें भला क्यूँ सोचा ,जायेंगे यूँ  ही मर हम 
आये हो जो लगानें ,ज़ख्में जिगर  पे मरहम 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 12 April 2013

हर आहट पर साँसें लेने लगता है ,
इंतज़ार भी भला कहीं  मरता है  .
घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 11 April 2013

कपडा जैसे ही कफ़न हुआ ,
बेचारा वैसे ही दफ़न हुआ  .
घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday, 10 April 2013

सचमुच तुम में कुछ बात है ,
पर क्या ...अज्ञात है  .
घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday, 9 April 2013

संवेदनशून्य युग में, सत्याग्रह ... अव्यवहारिक बातें हैं .
सच तो यही  है .. पत्थर पिंघलते बहीं ,तोड़े जाते हैं .
घनश्याम वशिष्ठ 

Monday, 8 April 2013

सकल पदार्थ  हैं  जग  माहीं ,
सरल सुलभ सत्ता सुत  ताहीं  .
घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 5 April 2013

माना  कि  राहें  सरल  नहीं  हैं ,
पर ..रुक जाना भी हल नहीं  है .
घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday, 3 April 2013

capsool

सुंदर सौष्ठव तन, किसी काबिल नहीं ,
मन  मजबूत नहीं ,कुछ हांसिल नहीं .
घनश्याम वशिष्ठ 

Monday, 1 April 2013

घेरे बैठे हैं ...काग सयाने ,
किसकी मानें ,किसकी ना मानें .
घनश्याम वशिष्ठ