Tuesday, 30 October 2012

राजनीति से हो गया ,नैतिकता का लोप ,
मंत्री  वह भी हो  गए,जिन पर थे आरोप 

घनश्याम वशिष्ठ 

Monday, 29 October 2012


जहां  ताला पड़ा रहता है  दिन भर,
कभी कभी सराय सा लगता है घर

घनश्याम वशिष्ठ

Saturday, 27 October 2012

ऐसे लोगों पर कभी, मत करना विश्वास , 
मुँह में मिश्री हृदय में, जिनके हो विष वास 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 26 October 2012

कद्र करें सब भरे की ,दुनिया की है रीत , 
प्याला औंधे मुँह पडा ,गया अभागा रीत 

घनश्याम वशिष्ठ 


Thursday, 25 October 2012

ज़ेहन में क्या था तेरे न जाना ,
गया फंस वहम में यूँ ही दिवाना 

घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday, 24 October 2012

हमारे बीच जो टूटा हुआ रिश्ता है , 
घाव गहरा है, रह रह कर रिसता है 

घनश्याम वशिष्ठ 


Tuesday, 23 October 2012

हमनें तुम्हारे जो संग दिल लगाया ,
तुमने वो रिश्ता न संगदिल निभाया 

घनश्याम वशिष्ठ 

Monday, 22 October 2012

मर मर कर भरता हूँ, महीने भर का बिल 
कैसे कहूँ  खुद को ,पढ़ा लिखा ....काबिल 

घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday, 20 October 2012

कभी तरसते थे ,
सुनने को सदा (आवाज़ )तुम्हारी 
अब मजबूर हैं, 
सुनने को सदा (हमेंशा )तुम्हारी 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 19 October 2012

 राजनैतिक गलियारों में ...

खूब सूरत देखीं 
खूबसूरत न दिखी 

घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 18 October 2012

क्या कहें अलफ़ाज़ ही खफा हो गए 
ज़ेहन में नहीं आते बेवफा हो गए 

घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday, 17 October 2012

डूबें जो कुछ लाख पर होने को बदनाम 
माननीय होते नहीं इतने भी नादान 
इतने भी नादान न झूठी बातें जोड़ो 
तब होता विश्वास जो होते कई करोड़ों 
कहें वेनी प्रसाद देख राजा, कलमाड़ी 
इतनी ओछी नहीं रही ,कुल कीर्ति हमारी 

घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday, 16 October 2012

इश्क के दरिया को कोई तैराक नहीं मिला 
कमबख्त सभी डूब गए 

घनश्याम वशिष्ठ