Friday, 22 August 2014

फिर दो इन्हें, तानाशाही बैसाखी लाकर ,
लड़खड़ा रहे हैं ,लोकतंत्र के पाँव पाकर  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 21 August 2014

अंग्रेजों नें  दाँव   जो ,मारा धोबी  पाट 
गए धुरंधर धोनी के ,धूल धरा की चाट  
घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday, 16 August 2014

ताको नित निज स्वार्थ को ,अवसर के अनुकूल  . 
सूरज को  जैसे   तके , सूर्यमुखी  का  फूल  
 घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 14 August 2014

शत्रु क्या खाकर हमारे शौर्य से टकराएगा ,
संतरे सा छील देंगे ,फांक सा रह जाएगा  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday, 2 August 2014

इच्छाओं का, गला घोटकर आ गईं -
ज़रूरतें ,बेचारी का हिस्सा  खा गईं   . 
घनश्याम वशिष्ठ