इच्छाओं का, गला घोटकर आ गईं - ज़रूरतें ,बेचारी का हिस्सा खा गईं . घनश्याम वशिष्ठ
Thursday, 31 July 2014
ज़मीन में जगह जगह दरार पद गई , अमन पर, सूखे की मार पद गई . घनश्याम वशिष्ठ
Wednesday, 30 July 2014
अश्वारोही सोचते , हुनर हुआ नाकाम . महँगाई के अश्व की ,कैसे कसें लगाम . घनश्याम वशिष्ठ
Friday, 25 July 2014
रोटी की गुणवत्ता की जाँच ,
भला होती है कहीं जीभ से
यह होती है पेट की लैब में ,
किसी मोहताज गरीब के .
घनश्याम वशिष्ठ
Thursday, 24 July 2014
एक राजनैतिक पार्टी के सुप्रीमो के सम्मान में ....... यही फायदा अवसरवादी गुण का हुआ , जो जीतता दिखा,वही पाला उनका हुआ घनश्याम वशिष्ठ
Wednesday, 23 July 2014
गर टूट गया, पंच परमेश्वर का भ्रम , कैसे करेंगे न्याय पर भरोसा …हम . घनश्याम वशिष्ठ
Saturday, 19 July 2014
दरिंदे जो रखते हैं ,यमदूत बनने का शौक , यहाँ क्या कर रहे हैं ,भेजो इन्हें यमलोक . घनश्याम वशिष्ठ
दरिंदे जो रखते हैं ,यमदूत बनने का शौक , यहाँ क्या कर रहे हैं ,भेजो इन्हें यमलोक . घनश्याम वशिष्ठ
Friday, 18 July 2014
दिल्ली में सरकार बनाने के प्रयास .......
रंग तो बदलेगी ही, गिरगिटों की जीभ भी
तभी तो, बे स्वाद खीर, स्वाद लगने लगी .
घनश्याम वशिष्ठ
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Thursday, 17 July 2014
श्री वेदप्रताप वैदिक जी ....... गर आए हो विषबेल से लिपटकर , लोग तो चलेंगे ही … दूर हटकर . घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday, 15 July 2014
राष्ट्रहित और आर्थिक विकास की आड़ में , वो लगे … जनहित का मैनीफेस्टो फाड़ने . घनश्याम वशिष्ठ
Monday, 14 July 2014
खेतों में तो अन्न की डिमान्ड उग आई ,
कहाँ उगेगी, ज़मीन से बेदखल सप्लाई
घनश्याम वशिष्ठ
Friday, 11 July 2014
जनता क्यूँ कहते हो, फुटबॉल कहो
गोल के नाम पर ...लतियाते रहो
घनश्याम वशिष्ठ
Thursday, 10 July 2014
फीफा में ब्राज़ील की हार पर ..........
जले के घाव बेचारे ,किस मुंह दिखाएँ ,
घर भी फूंका ,तमाशा भी न देख पाए .
घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday, 8 July 2014
बड़ी तो लगनी ही थी भ्रम की चादर , देखा नहीं था ना.... पाँव फैलाकर। घनश्याम वशिष्ठ
Saturday, 28 June 2014
देख लो ,हम कितने रिश्ते निभाते हैं हम चले तो आप, आप चले तो हम रोक नहीं पाते हैं। घनश्याम वशिष्ठ
Friday, 27 June 2014
कुछ यूँ हुए सपनों के बटवारे सच्चे सच्चे उनके झूठे हमारे घनश्याम वशिष्ठ
Thursday, 26 June 2014
नूतन हाला की तृष्णा में तोड विगत कर का प्याला साकी के नयनो से मादक स्वप्न देखता मतवाला दीख रही है नई नवेली नित नूतन श्रृंगार किए अभी लगे है कंचन काया काढ़े घूँघट मधुशाला घनश्याम वशिष्ठ
Wednesday, 25 June 2014
दिख ही जाते हैं अक्सर फुटपाथी ढाबों पर , झूठे बर्तन ,अतिक्रमण करते किताबों पर . घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday, 24 June 2014
महँगाई की मारी ज़रूरतें ,छोटी हुई जा रही हैं . दिन ब दिन पापड़ सी , रोटी हुई जा रही हैं घनश्याम वशिष्ठ
Monday, 23 June 2014
पनवाड़ी की दुकान पर हवा ,आज फिर ठहरी खड़ी है
किधर का रुख करे , बेचारी …असमंजस में पड़ी है
घनश्याम वशिष्ठ
Friday, 20 June 2014
उम्मीदों की अम्मा ,कब तक खैर मनाएगी . मैनिफेस्टो की इमारत फर -फर उड़ जायेगी , घनश्याम वशिष्ठ
Monday, 16 June 2014
सब्ज़ बाग़ दिखाते रहो ,बियबान में , अन्धे बहुत आते हैं दुकान में। घनश्याम वशिष्ठ
Friday, 13 June 2014
इधर तकलीफ बढ़ीं आँखों में सावन घिर गया उधर ,उम्मीदों की आँखों का पानी गिर गया घनश्याम वशिष्ठ
Thursday, 5 June 2014
वक़्त (दिन ) की भला कौन जाने , अच्छे लोग आएं ……तो मानें . घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday, 3 June 2014
पंजों में ताक़त ही नहीं थी वजन ढोने की , तो क्या ज़रुरत थी उचककर ऊंचा होने की घनश्याम वशिष्ठ
Tuesday, 27 May 2014
अभी तक तो हम कदम थे ,मैं और तू , कौन दिशा भटका , खडें हैं रू -बरू . घनश्याम वशिष्ठ
Friday, 4 April 2014
अच्छे दिन आने वाले हैं सोचें कार्यकर्ता -उम्मीदवार अबकी बार …मोदी सर … कार घनश्याम वशिष्ठ
Thursday, 20 March 2014
उन्हें आदत है ,झूठी जुबान देने की , और हमें …… सच मान लेने की . घनश्याम वशिष्ठ
Wednesday, 19 March 2014
HAR HAR MODI? हर हर मोदी या हार हार मोदी घनश्याम वशिष्ठ
Sunday, 16 March 2014
वोट की चोट ....... लिए हथौड़ा सोचता, कहाँ लगाऊं चोट सिस्टम सब हुआ , पुर्ज़ा पुर्ज़ा खोट घनश्याम वशिष्ठ
Saturday, 8 March 2014
ये लड़ीं हैं , अश्क़ के सैलाब से , बन गईं सूरज प्रखर ,महताब से घनश्याम वशिष्ठ
Wednesday, 5 March 2014
मेरे पक्ष में उठे, कई हाथ यूं तो , काश …इनमें पत्थर भी होते घनश्याम वशिष्ठ
Saturday, 8 February 2014
ख़ास जन की आस से ऊंचा हुआ है आदमी , आम रहकर ख़ास से ऊंचा हुआ है आदमी। घनश्याम वशिष्ठ
Sunday, 5 January 2014
अभी तो भोर हुई है ,धूप भी खिलेगी , आशा किरण आहिस्ता आहिस्ता आकार लेगी . घनश्याम वशिष्ठ