Tuesday, 14 October 2014

जॉब्स की खुली सेल ,
चौटाला को   नो बेल 
घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday, 11 October 2014

मन की  गंदगी से अटे पड़े हैं ,
चौराहे पर झाड़ू उठाए खड़े हैं  .

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 10 October 2014

सम्पूर्ण स्वच्छता के बतौर,
एक कदम  .......... 
चारित्रिक स्वच्छता की ओर   
घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 25 September 2014

मंगलयान की सफलता नें राहें  खोल दीं ,
आमंत्रण देते ब्रह्माण्ड नें  बाँहें  खोल दीं 
घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday, 23 September 2014

मुंह तोड़ जबाब उसे दो , जो सबल हो  
उसे क्या  ,,जो बिला बल हो 
घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 19 September 2014

डायबिटीज़ कर रही है ,बार्डर लाइन क्रॉस ,
फिर भी  चीनी मोह  ………  अफ़सोस  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday, 16 September 2014

जब कही ही दूसरों के फायदे की ,
क्या खाक कही क़ायदे की  …। 
 घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday, 10 September 2014

यहाँ पग पग  पर फरेब है ,
इन गलियों  में ही ऐब है  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday, 6 September 2014

कर लेतीं वो, इज़हारे  इश्क़  गर 
कट जाते ना ,मेरी आवारगी के पर   
घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 22 August 2014

फिर दो इन्हें, तानाशाही बैसाखी लाकर ,
लड़खड़ा रहे हैं ,लोकतंत्र के पाँव पाकर  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 21 August 2014

अंग्रेजों नें  दाँव   जो ,मारा धोबी  पाट 
गए धुरंधर धोनी के ,धूल धरा की चाट  
घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday, 16 August 2014

ताको नित निज स्वार्थ को ,अवसर के अनुकूल  . 
सूरज को  जैसे   तके , सूर्यमुखी  का  फूल  
 घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 14 August 2014

शत्रु क्या खाकर हमारे शौर्य से टकराएगा ,
संतरे सा छील देंगे ,फांक सा रह जाएगा  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday, 2 August 2014

इच्छाओं का, गला घोटकर आ गईं -
ज़रूरतें ,बेचारी का हिस्सा  खा गईं   . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 31 July 2014

ज़मीन में जगह जगह दरार पद गई ,
अमन  पर,  सूखे  की  मार  पद गई  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday, 30 July 2014

अश्वारोही  सोचते , हुनर  हुआ नाकाम  .  
महँगाई के अश्व की ,कैसे कसें लगाम  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 25 July 2014

रोटी की गुणवत्ता की जाँच ,
भला होती है कहीं जीभ से 
यह होती है पेट की लैब में ,
किसी मोहताज गरीब के  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 24 July 2014

एक राजनैतिक पार्टी के सुप्रीमो के सम्मान में  ....... 
यही  फायदा  अवसरवादी गुण का हुआ ,
जो जीतता दिखा,वही पाला उनका हुआ 
 घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday, 23 July 2014

गर टूट गया, पंच परमेश्वर का भ्रम , 
कैसे करेंगे न्याय पर भरोसा  …हम  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Saturday, 19 July 2014

दरिंदे जो रखते हैं ,यमदूत बनने का शौक ,
यहाँ क्या कर रहे हैं ,भेजो इन्हें यमलोक  .  
घनश्याम वशिष्ठ 
दरिंदे जो रखते हैं ,यमदूत बनने का शौक ,
यहाँ क्या कर रहे हैं ,भेजो इन्हें यमलोक  .  
घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 18 July 2014

दिल्ली में सरकार बनाने के प्रयास  ....... 
 रंग तो बदलेगी ही, गिरगिटों की जीभ भी 
 तभी तो,  बे स्वाद खीर, स्वाद लगने लगी  . 
 घनश्याम वशिष्ठ 
  . 

Thursday, 17 July 2014

श्री वेदप्रताप वैदिक जी  ....... 
गर आए हो विषबेल से लिपटकर ,
लोग तो चलेंगे ही  … दूर हटकर  .  
घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday, 15 July 2014

राष्ट्रहित और आर्थिक विकास की आड़ में ,
वो लगे  … जनहित का मैनीफेस्टो फाड़ने   . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Monday, 14 July 2014

खेतों में तो अन्न की डिमान्ड उग आई ,
कहाँ उगेगी, ज़मीन से बेदखल सप्लाई 
घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 11 July 2014

जनता क्यूँ कहते हो, फुटबॉल कहो 
गोल के नाम पर  ...लतियाते  रहो 
घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 10 July 2014

फीफा में ब्राज़ील की हार पर  .......... 
जले के घाव बेचारे ,किस मुंह दिखाएँ ,
घर भी फूंका ,तमाशा भी न देख पाए  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday, 8 July 2014

बड़ी तो लगनी ही थी भ्रम की चादर ,
देखा नहीं था ना....   पाँव फैलाकर। 
घनश्याम  वशिष्ठ 

Saturday, 28 June 2014

देख लो ,हम कितने रिश्ते  निभाते हैं 
हम चले तो आप, आप चले तो हम
रोक  नहीं पाते हैं। 
घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 27 June 2014

कुछ यूँ हुए सपनों के बटवारे 
सच्चे सच्चे उनके झूठे हमारे 
घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 26 June 2014

नूतन हाला की तृष्णा में तोड विगत कर का प्याला
साकी के नयनो से मादक स्वप्न देखता मतवाला  
दीख रही है नई नवेली नित नूतन श्रृंगार किए 
अभी लगे है कंचन काया काढ़े  घूँघट मधुशाला 
घनश्याम वशिष्ठ 



Wednesday, 25 June 2014

दिख ही जाते हैं अक्सर फुटपाथी ढाबों पर ,
झूठे बर्तन ,अतिक्रमण करते किताबों पर  . 
घनश्याम वशिष्ठ 

Tuesday, 24 June 2014

महँगाई की मारी ज़रूरतें ,छोटी हुई जा रही हैं  . 
दिन ब  दिन  पापड़ सी , रोटी  हुई जा  रही हैं 
घनश्याम वशिष्ठ 

Monday, 23 June 2014

पनवाड़ी की दुकान पर हवा ,आज फिर ठहरी खड़ी है 
किधर का रुख करे , बेचारी  …असमंजस  में पड़ी है 
घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 20 June 2014


उम्मीदों की अम्मा  ,कब तक खैर मनाएगी  . 
मैनिफेस्टो की इमारत फर -फर  उड़ जायेगी ,
घनश्याम वशिष्ठ

Monday, 16 June 2014

सब्ज़ बाग़ दिखाते रहो ,बियबान  में ,
अन्धे बहुत आते हैं दुकान में। 
घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 13 June 2014

इधर तकलीफ बढ़ीं आँखों में सावन घिर गया 
 उधर ,उम्मीदों  की आँखों का पानी  गिर गया
घनश्याम वशिष्ठ

Thursday, 5 June 2014

वक़्त (दिन ) की भला कौन जाने ,
अच्छे लोग आएं   ……तो मानें . 
घनश्याम वशिष्ठ

Tuesday, 3 June 2014

पंजों में ताक़त  ही  नहीं थी वजन ढोने की  ,
तो  क्या ज़रुरत थी उचककर ऊंचा  होने की
 घनश्याम वशिष्ठ 









Tuesday, 27 May 2014

अभी तक तो हम कदम थे ,मैं और तू ,
कौन  दिशा  भटका ,   खडें हैं  रू -बरू  . 
घनश्याम वशिष्ठ

Friday, 4 April 2014

अच्छे दिन  आने वाले हैं 
सोचें कार्यकर्ता -उम्मीदवार 
अबकी बार …मोदी सर  … कार
घनश्याम वशिष्ठ

Thursday, 20 March 2014

उन्हें आदत है ,झूठी जुबान देने की ,
और हमें  …… सच मान लेने की  . 
घनश्याम वशिष्ठ

Wednesday, 19 March 2014

HAR HAR MODI?
हर हर मोदी 
    या 
हार हार मोदी 
घनश्याम वशिष्ठ

Sunday, 16 March 2014

वोट की चोट   ....... 
लिए हथौड़ा सोचता, कहाँ लगाऊं चोट 
सिस्टम  सब  हुआ , पुर्ज़ा  पुर्ज़ा खोट
घनश्याम वशिष्ठ

Saturday, 8 March 2014

ये लड़ीं हैं , अश्क़ के सैलाब से ,
बन गईं सूरज प्रखर ,महताब से
घनश्याम वशिष्ठ

Wednesday, 5 March 2014

मेरे पक्ष में उठे, कई हाथ यूं तो ,
काश  …इनमें  पत्थर भी होते 
घनश्याम वशिष्ठ

Saturday, 8 February 2014

ख़ास जन की आस से ऊंचा हुआ है आदमी ,
आम रहकर ख़ास से ऊंचा हुआ है आदमी। 
घनश्याम वशिष्ठ

Sunday, 5 January 2014

अभी तो भोर हुई है ,धूप भी खिलेगी ,
आशा किरण आहिस्ता आहिस्ता आकार लेगी  . 
घनश्याम वशिष्ठ