Saturday, 29 June 2013

कुदरती जंगल ,कंक्रीट का जंगल हुआ जा रहा है ,
जंगल में मंगल ,या फिर अमंगल हुआ जा रहा है .
घनश्याम वशिष्ठ

Thursday, 27 June 2013

बहुत मजबूत है हमारी आस्था की रीढ़ .
साक्षी है ,अमरनाथ यात्रियों की भीड़ .

घनश्याम वशिष्ठ

Wednesday, 19 June 2013

कहाँ ढूंढे तुम्हें, पता नहीं मिलता है .
सबसे जबाब  हमें ,पता नहीं ..मिलता है
घनश्याम वशिष्ठ

Monday, 17 June 2013

संग ईंट- रोड़े का छूटा ,
भानुमती का  कुनबा टूटा .
घनश्याम वशिष्ठ

Sunday, 16 June 2013

डांटा कभी , कभी पुचकारा 
पापा अदभुत प्यार  तुम्हारा .
पूज्य पिता को पितृ दिवस पर सादर  श्रद्धांजली
घनश्याम वशिष्ठ  ,
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Wednesday, 12 June 2013

कल तलक वो  हमारी छांव में पले .
आज हम खुद हैं ,उनकी छाँव तले .
घनश्याम  वशिष्ठ 

Tuesday, 11 June 2013

सहारा लिया था अंगुली थमाकर ,
वो ही गए फिर अंगूठा दिखाकर .
घनश्याम वशिष्ठ

Monday, 10 June 2013

किनारे  कर दिया आहिस्ते -आहिस्ते ,
ऐसे ही  तो होते हैं .. स्वार्थ के रिश्ते .
घनश्याम वशिष्ठ

Thursday, 6 June 2013

मित्रों ,सर्वभाषा सांस्कृतिक  समन्वय समिति के सदस्यों के साथ बदरीनाथ धाम जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ ,पर्वत राज हिमालय का विराट रूप देख कवि  मन कह उठा .....

भाल चूमने को उत्सुक नभ ,
चरण पखारे जल की धारा , 
आज हिमालय परिचय पाया , 
वैभव ,विपुल , विराट तुम्हारा .
घनश्याम वशिष्ठ

Tuesday, 4 June 2013

जुबां का झूठ ,आँखों में झलक रहा है ,
ये प्यार नहीं , तो क्या छलक रहा है .
घनश्याम वशिष्ठ