Friday, 25 January 2013

हमें गर्व भारत भूमि पर जिसनें वीर सुभाष दिया

बन तूफानी लहर चला था, जो हुगली की धारों से ,
खेल खेल में खेल गया जो ,आग भरे अंगारों से 
नहीं रुका, वह नहीं झुका, गोरों के अत्याचारों से ,
पांचजन्य उद्घोष किया, जिसने फौलादी नारों से 
जयहिंद जयहिंद गूँज उठा मरुथल से और कछारों से 
देवदार से, केसर से ,हिम घाटी से ,कचनारों से 
ताल तलईया कूपों से, सरिता के शांत किनारों से 
खेतों से, मैदानों से गाँवों से, हर गलियारों से 
आग लिए सीनों में दीपक ,ढूंढ लिए अंधियारों से 
और उन्हें लड़ना सिखलाया बारूदी हथियारों से 

जगा जगा सोते सिंहों को ,ताक़त का अहसास दिया 
हमें गर्व भारत भूमि पर जिसनें वीर सुभाष दिया 

घनश्याम वशिष्ठ 

Thursday, 24 January 2013

हमें गर्व भारत भूमि पर जिसने वीर सुभाष दिया ....

राज और रजवाड़ों का ,गोरों  से मर्दन मान हुआ 
पराधीनता में जकड़ा और बेबस हिन्दुस्तान हुआ 
जिसने भी संघर्ष किया उन सब का कत्ले आम हुआ 
क्रान्तिकाल सत्तावन  का था ग़दर हुआ नाकाम हुआ 
किन्तु उदित हुआ जो सूरज ऐसे ना अवसान  हुआ 
माँ की आँखों के तारों का समर बीच बलिदान हुआ 
गोद रिक्त ना हुई धरा की सीना लहूलुहान हुआ 
अंगेजी  सत्ता के ताबूत में यह कील सामान हुआ 
नेताजी का उदय देश को कारज एक महान हुआ 
आज़ादी की मंजिल पर यह एक और सौपान हुआ

आज़ादी आँखों को आशाओं का आकाश दिया 
हमें गर्व भारत भूमि पर जिसने वीर सुभाष दिया 

घनश्याम वशिष्ठ 

Wednesday, 23 January 2013

आज़ादी नहीं मिलती यारो ,विनय विनीत विमर्शों से 
आज़ादी नहीं मिलती है , करतल के स्नेह स्पर्शों से 
आज़ादी हाँसिल होती है, ताक़त से संघर्षो से ,
आज़ादी को तरस रहे थे भारत वासी वर्षों से 
खून के बदले आज़ादी दिलवानें का विशवास दिया 
हमें गर्व भारत भूमि पर, जिसने वीर सुभाष दिया 

घनश्याम वशिष्ठ 

Monday, 21 January 2013

अफ़सोस , अब भी शांत सरहद है 
सोचे सैनिक का कटा  सर ,हद है 

घनश्याम वशिष्ठ 

Friday, 18 January 2013

ऐसा क्या है हमारे डी .एन .ए .में ,
हर घाव जल्दी भर जाता है 

घनश्याम वशिष्ठ 

Monday, 14 January 2013

जो लोग डरते हैं पड़े, चेहरे पे दाग से 
वो लोग खेलेंगे भला क्या खाक आग से 

घनश्याम वशिष्ठ